देवों के देव कहलाते हैं महादेव | महादेव शिव
भक्तों से सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं | इनकी आराधना की सबसे महत्वपूर्ण पूजा विधि रूद्राभिषेक मानी जाती है
| शिव अपनी जाटाओं में गंगा को
समाये हुए हैं इसलिए इन्हें जल की धारा अत्यंत प्रिय
है| रूद्र यानि भगवान शिव का अभिषेक जल के अलावा भिन्न पदार्थों से अलग – अलग
कामना सिद्धि के लिए किया जाता है| आइये इन अभिषेकों और उद्देश्यों के विषय में
जानते हैं : -
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रूद्राभिषेक : भावना अहम है, द्रव्य नहीं
|
शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप
माना जाता है.
रूद्राभिषेक का संधि विच्छेद है ... रूद्र यानी भगवान शिव और
अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना. शुद्ध जल या फिर गंगाजल से महादेव के अभिषेक
की विधि सदियों पुरानी है. मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ
मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है. अभिषेक के साथ महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र या फिर भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप
किया जाता है.
1) ताम्बे के पात्र में 'शुद्ध जल'
भर कर हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के
लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करते हैं.
2) शिव को प्रसन्न कर उनका
आशीर्वाद पाने के लिए शिवलिंग पर दूध की
पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक किया जाता है.
3) अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज
से मुक्ति के लिए भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करें
4) ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव के
भैरव रुप का सरसों के तेल से अभिषेक करें. तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव
के लिए काले तिल से भी अभिषेक किया जाता है.
5) किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने
व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करने की मान्यता है
.
6) संतान प्राप्ति व पारिवारिक
सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें.
अभिषेक करते समय निम्न में से किसी
एक मंत्र का जप और भोले बाबा के रूपों का स्मरण करना चाहिए:-
- पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम:
शिवाय"
- ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा
- ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम:
- ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा
- ॐ भं भैरवाय नम:
- ॐ शं शम्भवाय नम:
- ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा
- ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय
स्वाहा
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