स्वामिनारायण
सम्प्रदाय की एक खासियत किसी का भी ध्यान खींच लेती है | इसमें काम करने वाले स्वयंसेवक अपने जीवनक्रम
से जुड़े रहकर भी प्रभु सेवा करते हैं | आखिर यह कैसे हो पाता है? गुजरात विध्युत बोर्ड के कार्यकारी इंजीनियर डी एस
दोशी के विचार यहाँ प्रस्तुत हैं :
जीवन में हमारा
ध्यान गतिशीलता की ओर शांति के साथ होना चाहिए | हम सभी गतिशीलता के लिए अत्यंत सटीकता और
उत्साह के साथ हर कदम उठायें तो जीवन में तनाव कम महसूस होगा |
जब हम परमपिता
ईश्वर के प्रति आत्मसमर्पित होते हे तब हमारे चहुँ ओर अत्यंत प्रशांति फेल जाती है
| जीवन शान्ति हासिल करने के लिए अपना जीवन ईश्वर को समर्पित
कर दें उसे ही इसे संचालित करने दें |
यह बहुत आसान है
अगर हमारे खुशी के पलों के लिए उसका अहसान मानें,
मुश्किल क्षणों में भगवान को तलाश करें वोह निश्चित रुपसे ऐसे समय से बाहर निकलने का
मार्ग दिखाएगा,
शान्ति के लम्हों
में भगवान को पूजना चहिए ताकि ये पल लंबे चलें,
दर्दनाक समय में भगवान पर भरोसा रखें दवा भी वही
करेगा,
हर लम्हें में परमपिता को याद रखें और ईश्वर को धन्यवाद दें राह
दिखने के लिए, जीवन में अपने आप हर तरफ शान्ति महसूस करेंगे |
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