रविवार, अप्रैल 27, 2014

मेष का केतु और तुला का शनि यूपीए के लिए अनिष्टकारी रहेगा

14 अप्रैल से सूर्य के मेष राशि में भ्रमण करने के साथ ही कमुरते समाप्त हो गए हैं और मांगलिक कार्यों के मुहूर्त शुरू हो गए हैं | ऐसे में ग्रहदशा राजनीतिक दलों को कितना मंगल करा पाती है यह 16  मई को पता चलेगा |
मेष राशि में फ़िलहाल केतु भी मौजूद है | दूसरी तरफ तुला राशि में भ्रमण कर रहे शनि और राहू प्रतियुति योग बनाते हैं | यह योग विपक्ष को मजबूत बनाता है तथा सत्ताधीशों को कमजोर करता है | सूर्य सत्ता का कारक है वहीँ केतु अतृप्ति इंगित करता है इसलिए काँग्रेस के दुबारा सत्ता में आने की मुराद मन में ही रह जायेगी | मतदान का बड़ा भाग सूर्य के मेष राशि में १४ मई तक के भ्रमण के दौरान ही होना है | शनि और राहू की युति विरोध को जन समर्थन प्रदान करती है|

स्वतंत्र भारत की वृषभ लग्न की कुंडली में कर्क राशि है | देश के 13 में से 9 प्रधानमंत्री भी कर्क राशि के ही हुए हैं | फ़िलहाल जिन तीन नेताओं की चर्चा है – नरेन्द्र मोदी, राहुल गाँधी और केजरीवाल, यह क्रमशः वृश्चिक, धनु और बृषभ राशिवाले हैं |

इन तीन नेताओं की कुंडली में से नरेन्द्र मोदी की कुंडली में सूर्य की वर्तमान स्तिथि “विजययोग” का निर्माण करती है | उनकी कुंडली में चंद्र की महादशा चल रही है जो उच्च पद प्राप्त करने में सहायक हो सकती है| सूर्य और शनि परस्पर शत्रु ग्रह चर राशि में राहू और केतु के साथ होने से मोदी के लिए दुर्घटना या षड़यंत्र की सम्भावना भी बनाती है |

धनु राशि से मेष का सूर्य पांचवा होने से राहुल गाँधी को मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिल पायेंगे | उनकी  ज्यादातर  चालें उल्टी पड़ती दिखाई देंगी | समय राहुल के अनुरूप नहीं है, ऐसे में अगर वह अहं एवं  कुसंगति से बच सकें तो आने वाले समय में नुकशान की भरपाई कर पायेंगे |
वहीँ केजरीवाल की कुंडली में मेष का सूर्य वृषभ राशि से बारहवें स्थान पर होने से साथीयों तथा मित्रों से मनमुटाव को इंगित करता है| इनके समर्थकों से वांछित सपोर्ट नहीं मिलेगा, वाराणासी से इनके जीतने की सम्भावना काफी कम है, सम्भावना है कि यह दूसरे स्थान पर भी ना आ पायें |


कुंडली में सूर्य से अष्टम भाव में मौजूद राहू केजरीवाल को गलत निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है| दिल्ली के मुख्यमंत्री पड़ से त्यागपत्र एक ऐसा ही निर्णय था | आम आदमी पार्टी के संयोजक की वर्तमान दशा में शनि और राहू लाभ पहुंचा रहे हैं| नीच राशि का शनि उन्हें चुनौती लेने के लिए प्रेरित करता है | लेकिन मंगल परेशानी का कारण बन सकता है, हालांकि वह अपनी साख बच पाएंगे|

यह लेख १६ अप्रेल, २०१४ को नभाटा में प्रकाशित हो चुका है

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