रविवार, अप्रैल 27, 2014

ज्यादा मतदान का मोदी षड़यंत्र

मोदी को चुनाव कुछ उद्योगपति  लड़वा रहे हैं, यह गैर भाजपाई नेता काफी समय से चिल्ला रहे हैं| मोदी के कट्टर विरोधी और पत्रकार आकार पटेल ने इसका जबरदस्त प्रमाण दिया है | शायद यह दिग्विजयसिंह और बेनीप्रसाद के दिमाग में भी नहीं आया होगा कि स्टार टीवी का एक विज्ञापन गैर लोकतांत्रिक है | इस विज्ञापन  में उच्च शिक्षा लेने विदेश जा रहे एक विद्यार्थी को काउंसिलर याद दिलाती है कि जिस दिन वह जाना चाह रहा है वोह मतदान का दिन है |

संभवतः आप सोच रहे होंगे कि मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करना कैसे अलोकतांत्रिक बात है ?  मतदान कर आप अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनते हैं | पर अगर किसी को नहीं चुनना है तो जबरदस्ती कैसी?  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग को ईवीएम मशीनों में “नोटा” बटन लगाना पड़ा, ताकि मतदाता उस विकल्प को भी चुन सके जिसमें वह सभी उमीदवारों को अस्वीकार कर सके | लेकिन जिन्हें ये भी ना बताना हो कि उसे कोई भी पसंद नहीं, वह क्यों दवाब को झेले?
बात यहीं नहीं रूकती दिल्ली में कुछ पेट्रोल पंपों ने वोट डालकर पेट्रोल डलवाने वालों को प्रति लीटर 50 पैसे की छूट दी | बंगलौर में एक बार वाले ने वोट डालकर बार में पीनेवालों को एक पेग मुफ्त दिया | इसी तरह डाक्टरों की टीम ने  वोट डालकर आने वाले ओपीडी मरीजों से 10 प्रतिशत कम फीस लेने की घोषणा की |

एक विदेशी समाचार संस्था – रायटर  ऐसे प्रयासों की वकालत करते हुए लिखती है कि 2009 में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में महज 58 फ़ीसदी मतदान हुआ था | 58 फ़ीसदी रायटर के लेखकों को कम लगता है , पर हमारे लिए काफी है | बड़ी मुश्किल से एक और छुट्टी मिलती है , बिस्तर तोडने के लिए | इसे जाया कर दिया तो हमारे स्वप्निल भाग्यवाद का क्या होगा?

आखिर हर कोई क्यों पीछे पड़ा है कि वोट डालो - वोट डालो | सीधी सी बात है, जनता सरकार से दुखी है, अगर ज्यादा वोट पड़ेंगे तो काँग्रेस और उसके समर्थकों के हारने की सम्भावना ज्यादा है | यही वजह है मोदी समर्थक व्यवसाई ऐसे विज्ञापन दे रहे हैं |

हद तो इस बात की है कि महाराष्ट्र में खुद इलेक्शन कमीशन में पोस्टर तथा विज्ञापनों में ना केवल लोगों से वोट डालने की अपील की, बल्कि कहा कि “ ऐसे उमीदवारों को वोट करें जो शिक्षित हों एवं विकासशील विचारधारा के हों “. अब इलेक्शन कमीशन को किसने कहा कि ऐसा प्रचार करो | ये सीधे सीधे यूपीए के उमीदवारों के विरुद्ध मत डालने की अपील थी | अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई तो इस साल के आखिर में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों में भी  कांग्रेस – एनसीपी  का सूपड़ा साफ़ हो जायेगा|

जितने कम वोट डाले जायेंगे उतना ही मोदी पीएम की कुर्सी से दूर रहेगा , उतना ही देश साम्प्रदायिक ताकतों से बचा रहेगा | विकास और नौकरी का क्या है, ऊपर वाले ने जब नीचे भेजा है तो कुछ ना कुछ तो इंतजाम करेगा ही – मनरेगा, नरेगा या भिक्षामदेहि सब उसकी मर्जी है |  समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी नहीं मिलता तो मोदी कहाँ से दे देगा? लेकिन हमें मतदान बढ़वाने का मोदी के षड़यंत्र  का पर्दाफाश तो करना ही पड़ेगा |

अगर ज्यादा मतदान करवाना ही है तो शरद पवार जी का फार्मूला है, मधेपुरा के बाहुबल का भरोसा है |  इन तरीकों को अपनाने से देश का भला होगा – अपना हाथ एक बार फिर अपने गाल पर होगा |  दिग्गीजी, सिब्बलजी, प्रियंकाजी आगे बढ़ो और वोट डालने को प्रोत्साहित करने वाल्रे हर प्रयास को बैन करवा दो |  आकार पटेलजी को इतने करामाती सुझाव के बदले राज्यसभा में भेजना नहीं भूलना |


सही वोटर वही है जिसने मतदान मथक पर आने की कीमत पहले ही वसूल ली है, जो यह प्रश्न नहीं पूछता कि पिछले दस साल क्या किया? राष्ट्रवादी वही है जो अपनों से डरता है और पाकिस्तान से अपने सैनिकों के सर कटवाकर चुप रहता है | 

यह लेख नभाटा में २७ अप्रैल को लाइव हो चुका है   NBT Blog Link


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